कुछ यादें एक खलिश सी होती हैं
बरसों दिल में सुलघ्ती रहतीं हैं
दबती छुपती तो हैं मगर दहकती रहतीं हैं
बीतते सालों का मरहम पा के भी दर्द देती हैं
गुज़रा वक़्त सब कुछ भुला नहीं देता
मन में बसा चेहरा धुन्दला नहीं देता
तेरी मुस्कान दिल में अभी भी गूंजती हैं
ये पलकें आज भी तुम को ढूँढती हैं
तुम्हे याद कर यह आँखें दो बूँद और रो देती है
नहीं लिखा था शायद साथ तुम्हारा
होगी किसी खुदा की मर्ज़ी पर हमें नहीं है गवारा
गलती तो खुदा से भी होती है
यादें
आ आ कर बस येही सदा देती हैं
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