Sunday, October 26, 2014

Diwali

इस बरस दिवाली के दियों संग
कुछ ख़त भी जल गये 
कुछ यादों की लौ कम हुई 
कुछ रिश्ते बुझ गये 
भूले बंधनों के चिरागों तले अँधेरे जो थे
वो मिट गये
बनके बाती जब जले वो रैन भर
सारे शिकवे जो थे संग ख़ाक हो गये

No comments: